


Spirituality is the journey of self-discovery and connection with the divine. The teachings of the Bhagavad Gita remind us to focus on our duties with sincerity and devotion, leaving the outcomes to the higher power. "Karmanye Vadhikaraste" emphasizes the essence of karma yoga – performing our actions selflessly, without attachment to results.
At Karam Bhakti, we strive to embody this wisdom by encouraging mindful living, selfless service, and a deep connection to spirituality through our offerings and guidance. Let this sacred principle guide you on your path
श्रीमद् भगवत गीता "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।"



श्री बजरंग बाला जी दरवार साहित्य
परमपिता , सुन अरज पधारो, अपने हाथ अब दास उबारो।
चरण कमल तोहरे बस जावै, मनवांछित फल तुमसे पावै।।
निर्मल मन कर, अपना कीजै, अनंत काल सुख मोहे दीजै।
तुम हो मोर वीर पतवंता, शरण में ली जो मोहे अनंता।।
राम शरण का दास कहावो, मनवांछित फल तुमते पावो।
जोहि जन तोरा यश गावै, ज्ञान दीप अब मन में जगावै।।
हे नाथ! तुमको हो समर्पण, मन, तन-धन सब तुमको अर्पण।
बल, बुद्धि, विद्या के स्वामी, कृपा करो हे उर अंतर्यामी।।
तुम बिन आस नहीं अब कोये, शरण तेरी मन दर्शन होये।
राम नाम गावो मन साजो, अन्तर मन में आन विराजो,
श्री महिमा



हे समरथ! परमात्मा, तू सबका आधार,
कण-कण में तू बस रहा, तू शक्ति अपार ।
तेरा सकल पसारा है, सृष्टि से भी पार,
तेरी शान निराली है, महिमा अपरंपार।
तू राजा अधिराज है, सबका पालनहार,
आदि तू ही है अंत तू, दीन-दुखी का तार।
हर पल तेरा आसरा, सतगुरु तेरी कृपा अपार,
चरणों में क्षमा याचना, आया तेरे द्वार।
भला करो संसार का, दुखभंजन निराकार,
श्वास-श्वास सिमरन करूं, मेरे प्रभु सुख सार।